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मुम्बई विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग व अभियान ट्रस्ट के तत्वावधान में कजरी महोत्सव 2019, का आयोजन किया गया, इस अवसर पर अमरजीत मिश्रा स्टेट मिनिस्टर महाराष्ट्र, करुणा शंकर उपाध्याय हिन्दी विभाग अध्यक्ष मुम्बई विश्वविद्यालय, डॉ शीतल प्रसाद दुबे कार्याध्यक्ष महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, डॉ रामजी तिवारी प्रोफेसर एवम पूर्व अध्यक्ष हिन्दी विभाग मुम्बई विश्वविद्यालय, डॉ सूर्यबाला विरिष्ठ कवित्री, कृष्णा प्रकाश विशेष पोलिस महानिरीक्षक, अभिनेता अली खान,कॉमेडियन सुनील पाल,दिलीप सेन म्यूजिक डायरेक्टर,गीता सिंह,किरण अमरजीत सिंह,अशोक सिंह,राकेश सिंह,आनंद सिंह,सतीश सिंह,ममता गुप्ता,अनुराग शुक्ला, नरेंद्र सोनकर,महाश्रय दीक्षित,जगनारायण दीक्षित,और आयोजक शम्भू सिंह मैजूद रहे

आपको बता दु की कजरी पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रसिद्ध लोकगीत है। इसे सावन के महीने में गाया जाता है। यह अर्ध-शास्त्रीय गायन की विधा के रूप में भी  जाना जाता है,और इस गायन में बनारस घराने की ख़ास झलक नज़र आती है। कजरी गीतों में वर्षा ऋतु का वर्णन विरह-वर्णन तथा राधा-कृष्ण की लीलाओं का वर्णन अधिकतर मिलता है। कजरी की प्रकृति क्षुद्र है।इसमें श्रींगार रस की प्रधानता होती है। उत्तरप्रदेश एवं बनारस में कजरी गाने का प्रचार खुब है!

कजरी लोकगीत ब्रज क्षेत्र के प्रमुख लोक गीत में से एक लोक गीत है  सावन में झूला झूलते समय गाया जाता है| प्राचीन काल से ही उत्तर प्रदेश का कजरी गायन के प्रारम्भ देवी गीत से ही होता है। उनकी याद में कजरी गाया जाता है । श्रावण मास का विशेष महत्त्व है यह मुख्यतः बनारस, बलिया, चंदौली और जौनपुर जिले के क्षेत्रों में गाया जाता है

     

साथ ही आपको बताता चलु की अभियान संस्था के माध्यम से पूरे सावन महीने । मुम्बई के कोने कोने में कजरी महोत्सव का आयोजन किया जाता है ! अभियान का मकसत केवल इतना है की जो महिलाएं मुम्बई में अपने मायके से दूर रहती है ! उनको अपने मायके की याद ना आये ! इसलिये झूला,मेहंदी कजरी का ऐसा वातावरण तैयार किया जाता कि महिलाएं यहाँ आकर कुछ पल के लिए इसे मायका महसूस करती है ! और इस पर शुरेश शुक्ला और राधा मौर्या का सुमधुर आवाज लोगों झूमने पर मजबूर कर देती है ! वही इस अवसर पर अमरजीत मिश्रा, कृष्ण प्रकाश IPS और तमाम मेहमानों का क्या कहना था,आइये सुनवाता हु आपको

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